ABOUT हिंदी कहानियां लिखी हुई

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हिंदी कहानी

यहाँ एक कहानी है जो बताती है उन चुनौतियों के बारे में जब आप किसी काम को खुद से करने की चेष्ठा करते हैं।

घर जाकर उसने अपनी पढाई को अनवरत रखा, इसी समय उन्हें गाँव के जमीदार के यहाँ पर नौकरी मिल गई.

शिक्षा : बड़ा बनने के लिए अपने से आगे वाले की टांग खीचने की बजाय उनसे अधिक मेहनत कर आगे बढ़ो.

खेत का मालिक मुह उतारकर आकाश में उड़ती हुई कुरज को एकटक देखता रहा.

उससे ही यह पूछ हो कि उनका असली मालिक तुम दोनों में से कौन हैं? वह स्वयं ही इस बात का निर्णय कर देगी.

अगले दिन भी सेठ लड़के की उस बात को नही भूल पाया, उसने तुरंत लड़के को बुलाया और कल रात के स्वप्न की बात फिर पूछी- लड़का इस बार भी वह बात टाल गया.

उमा की माँ ने कहा मैं तुम्हारी गुडिया को जोडकर तब तक तैयार कर दूंगी जब तक तू बया का घौसला तैयार नही कर देती, यदि तू उसके कार्य में विद्य न डालकर उनकी मदद करती तो बया अब तक अपना घौसला बना देती.

पर खेत का मालिक नही माना, कुछ देर बाद गायों का एक झुण्ड आया. कुरज ने वैसे ही करुण स्वर में विनती की-

महात्मा जी ने कहा- भूमि का निर्णय तो हो ही जाएगा. वह कही भागे थोड़ी ही जा रही हैं. पहले भोजन हो जाए, ताकि मन मस्तिष्क ठिकाने आ जाए.

यदि तुम बड़ा बनना चाहते हो तो बड़े बन जाने वाले व्यक्तियों को पीछे मत धकेलो, अपने आप को उनसे बड़ा बनाओ

उधर उमा की उदंडता भी बढती ही जा रही थी, बया जैसे ही नया घौसला बनाती वह उन्हें गिरा कर जमीन पर तिनको को बिखेर डालती.

जलयान. उस नवयुवक ने एक नाव में अपने सामान को डाला और वतन वापसी की यात्रा आरम्भ की.

बहुत निहोरे किये तब भी वह न माना. कुछ देर बाद सामने के एक बिल से उन्दरा निकला. कुरज ने अपनी विवशता के मारे छटपटाते हुए, करुण स्वर में विनती की.

”बुद्धिर्यस्य बलं तस्य” इस पौराणिक कहानी में देवताओं के परीक्षा में सफल होने का यही आधार बताया गया हैं.

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